भारत-पाक : भारत और पाकिस्तान के बीच एलओसी पर कई जवानों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया है। उनमें एक नाम आंध्र प्रदेश के श्री सत्य साईं जिले के कल्लीथांडा गांव निवासी मुरली नायक का भी है। गांव और उनका परिवार अपने जाबांज सैनिक को खोने के बाद शोक में है। गम की इस घड़ी में मुंबई के एक कपल ने कुछ ऐसा किया है, जिससे भले ही शहीद मुरली नायक के परिवार का दुख कम न हो, लेकिन अपने बेटे पर गर्व करने का उन्हें एक और मौका जरूर मिलेगा।
दरअसल मुंबई के एक पति-पत्नी ने अपनी विदेश यात्रा के लिए जमा किए हुए 1.09 लाख रुपये शहीद जवान मुरली नायक के परिवार को दान किए हैं। इंस्टाग्राम अकाउंट ‘वीआरयुवा’ के मुताबिक, इस कपल ने यह फैसला एलओसी पर शहीद हुए मुरली नायक के सम्मान में लिया। इनका मानना है कि अपने बेटे को खोने के गम में डूबे परिवार को उनके इस कदम से गर्व महसूस होगा। हालांकि, इस कपल ने अपनी पहचान गुप्त रखी है।
आंध्र प्रदेश में जन्मे शहीद मुरली नाइक का बचपन मुंबई के कामराज नगर में बीता था। परिवार बहुत ही साधारण, जहां माता-पिता मजदूरी कर परिवार को पालते थे। हाल ही में एक पुनर्विकास परियोजना की वजह से अपना घर खोने के बाद परिवार आंध्र प्रदेश लौट आया था। भारत-पाक में शहीद मुरली नायक अपने परिवार का एकमात्र सहारा थे।
अब हम अनाथ हो गए – शहीद मुरली के पिता
भारत-पाक सीमा पर अपने बेटे की शहादत की खबर सुनने के बाद मुरली के पिता श्रीराम नाइक ने दुख जताते हुए कहा था कि उनका बेटा देश के लिए शहीद हो गया। अब वह अनाथ हो गए हैं। 10 मई को जब मुरली का पार्थिव शरीर उनके गांव पहुंचा, तो वहां हजारों लोग जमा हो गए। गांव का हर इंसान उन्हें श्रद्धांजलि देना चाहता था। उनका अंतिम संस्कार पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया गया और 21 तोपों की सलामी दी गई।
आंध्र सरकार ने किया परिवार का सम्मान
वहीं, आंध्र प्रदेश सरकार ने भारत-पाक सीमा पर शहीद मुरली नायक के माता-पिता को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी है। इसके अलावा उन्हें पांच एकड़ जमीन, 300 वर्ग गज का घर और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का भी वादा किया। आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम पवन कल्याण ने भी मुरली को श्रद्धांजलि दी और उनके परिवार को अपनी ओर से 25 लाख रुपये की सहायता देने का वादा किया।
भावनात्मक एकता का प्रतीक है ये कदम
भारत-पाक सीमा पर शहीद मुरली नायक के परिवार को मुंबई के कपल ने जो रकम दी है, वह केवल एक आर्थिक सहायता नहीं है, बल्कि यह भावनात्मक एकता का एक प्रतीक है। उनका यह कदम दिखाता है कि हम सभी किस तरह एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। ये फैसला उन सैनिकों का सम्मान है, जो दिन-रात सीमा पर हमारी रक्षा के लिए महफूज रहते हैं।