Noida : रात के साढ़े दस बजे, जब गाजियाबाद का नाहल गांव अंधेरे की चादर ओढ़े खामोश खड़ा था, तब नोएडा पुलिस की एक छोटी-सी टोली हिस्ट्रीशीटर कादिर को दबोचने निकली थी। चंबल के बीहड़ों सा खतरनाक यह इलाका, जहां पक्की सड़कें तक नहीं, वहां हर कदम पर खतरा मंडराता है। फिर भी सौरभ देशवाल, एक नौजवान सिपाही, अपनी टीम के साथ बेखौफ कदमों से आगे बढ़ा। उसकी आंखों में ड्यूटी की ललक थी और दिल में अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने का जुनून।
मौत से टकराई बहादुरी
पुलिस ने कादिर को पकड़ लिया था, लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। जैसे ही टीम वापस लौटने लगी, पंचायत भवन के पीछे छिपे बदमाशों ने अचानक हमला बोल दिया। पत्थरों की बौछार शुरू हुई और हालात बेकाबू हो गए। जहां बाकी पुलिसकर्मी बचाव में इधर-उधर भागे, वहीं सौरभ ने मोर्चा संभाला। अकेले, निहत्थे, दर्जन भर बदमाशों के खिलाफ वह शेर की तरह डटा रहा लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था। बदमाशों की गोली सौरभ के सिर में जा लगी और वह धरती पर गिर पड़ा। यशोदा अस्पताल की गलियारों में उनकी सांसें थम गईं, लेकिन उनकी बहादुरी की गूंज आज भी गाजियाबाद की फिजाओं में तैर रही है।
बचपन से थी वर्दी की चाह
शामली के बधेव गांव का यह लाल बचपन से ही पुलिस की वर्दी पहनने का सपना देखता था। 2016 में जब सौरभ की मेहनत रंग लाई और वह पुलिस फोर्स का हिस्सा बना तो मानो उसका सपना साकार हो गया। नोएडा के फेज तीन थाने में डेढ़ साल पहले आए सौरभ ने अपनी दिलेरी से सभी का दिल जीत लिया था। साथी बताते हैं कि वह हमेशा स्पेशल स्टाफ में रहा क्योंकि उसकी हिम्मत और जज्बा किसी आम सिपाही से अलग था। नौ साल की छोटी-सी सेवा में उसने दर्जनों बदमाशों को अकेले दबोचा और जेल की सलाखों तक पहुंचाया।
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आखिरी बात, अनकहा दर्द
उस रात, जब सौरभ अपनी टीम के साथ कादिर को पकड़ने निकला, उसने घर पर पत्नी को फोन किया। रोजमर्रा की बातें, खाने-पीने का जिक्र और फिर एक वाक्य— “ड्यूटी पर निकलना है।” कौन जानता था कि यह उनकी आखिरी बातचीत होगी? आज उनकी पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है और वह बार-बार यही कहती है कि काश उसे पता होता कि यह आखिरी कॉल थी।
खामोशी में छिपा खतरा
नाहल गांव जहां यह हादसा हुआ, कोई साधारण जगह नहीं। गंग नहर के किनारे बसा यह गांव, टूटी-फूटी सड़कों और बीहड़ों जैसे माहौल के साथ अपराधियों का गढ़ है। यहां की भौगोलिक बनावट बदमाशों को फायदा देती है और पुलिस के लिए हर ऑपरेशन जोखिम भरा होता है। नोएडा पुलिस की सादी वर्दी में गई टीम को शायद इस खतरे का अंदाजा था लेकिन गाजियाबाद पुलिस को जानकारी न देना और सीमित संसाधनों में ऑपरेशन ने हालात को और जटिल बना दिया।
शहादत की गूंज
सौरभ की शहादत ने न सिर्फ नोएडा और गाजियाबाद पुलिस को झकझोरा बल्कि पूरे समाज को एक नायक की कहानी दी। गाजियाबाद पुलिस ने तुरंत एक्शन लेते हुए बदमाश कादिर को सुबह होते-होते एनकाउंटर में दबोच लिया। लेकिन सौरभ की कमी कोई पूरी नहीं कर सकता। वह एक सिपाही नहीं, एक प्रेरणा थे। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि ड्यूटी के रास्ते पर न डरना है, न भागना है। सौरभ देशवाल जैसे नायक भले ही चले जाएं लेकिन उनकी बहादुरी की कहानियां हमेशा जिंदा रहेंगी।