UP के अमरोहा में एक ऐसा मामला सामने आया है, जो सुनकर आपका दिमाग चकरा जाएगा। एक चाचा ने अपने भतीजे को पुलिस (Police) की नौकरी दिलाने के लिए ऐसा जुगाड़ किया कि 14 साल तक सब कुछ चकाचक चलता रहा। लेकिन जैसा कि कहते हैं, “झूठ के पांव नहीं होते,” चाचा का ही एक दांव उल्टा पड़ गया और अब न भतीजे की नौकरी बची, न चाचा की इज्जत।
फर्जी मार्कशीट का मास्टरप्लान
बलिया जिले के सेमरी गांव का अखिलेश कुमार सपनों में खाकी वर्दी सजाए घूमता था, लेकिन हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा में बार-बार फेल होने की वजह से उसका सपना अधूरा रह जाता। तभी उसके सगे चाचा विनोद ने ‘सुपरहीरो’ बनने का फैसला किया। विनोद ने न सिर्फ फर्जी मार्कशीट बनवाई, बल्कि उसकी मदद से 2009 में अखिलेश को उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल की नौकरी भी दिलवा दी। बस, फिर क्या! अखिलेश वर्दी पहनकर इठलाता रहा, और चाचा को लगने लगा कि उसने तो कमाल कर दिया।
चाचा-भतीजे में ठनी और खुल गया राज
लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आया, जब दो साल पहले चाचा-भतीजे के बीच किसी बात पर तू-तू-मैं-मैं हो गई। गुस्से में आगबबूला चाचा विनोद ने सोचा, “अब दिखाता हूँ तुझे!” और पुलिस में गोपनीय शिकायत ठोक दी कि अखिलेश की मार्कशीट फर्जी है। बस, यहीं से चाचा का चक्रव्यूह उल्टा फिर गया।
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पुलिस की जांच ने खोली पोल
अमरोहा पुलिस ने शिकायत की तह तक जाने के लिए जांच शुरू की। अखिलेश की ज्योति इंटर कॉलेज की मार्कशीट को यूपी बोर्ड में चेक किया गया और सच सामने आया। मार्कशीट तो स्कैन की गई थी, लेकिन रोल नंबर और नाम का कोई मेल ही नहीं था! अमरोहा के एडिशनल एसपी ने जब अखिलेश को बुलाकर पूछताछ की तो उसने सारा ठीकरा चाचा विनोद के सिर फोड़ दिया। ये सुनकर पुलिस भी दंग रह गई कि जिस चाचा ने नौकरी दिलाई, उसी ने शिकायत कर दी!
भतीजे की नौकरी गई, चाचा भी फंसा
पुलिस ने देर नहीं की और अखिलेश को कांस्टेबल की नौकरी से बर्खास्त कर दिया लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। चूंकि फर्जी मार्कशीट का मास्टरमाइंड चाचा विनोद ही था, इसलिए अमरोहा देहात थाने में उसके खिलाफ धोखाधड़ी की धाराओं में मुकदमा दर्ज हो गया। पुलिस के आरआई घनश्याम ने बताया कि मामले की गहन जांच चल रही है और जरूरत पड़ी तो दोनों को हवालात की हवा भी खानी पड़ सकती है।
मोरल ऑफ द स्टोरी?
चाचा ने भतीजे को नौकरी दिलाकर ‘हीरो’ बनने की कोशिश की लेकिन गुस्से में आकर खुद ही ‘विलेन’ बन बैठा। अब न भतीजे की नौकरी बची, न चाचा की साख। तो दोस्तों, फर्जीवाड़े से बचें क्योंकि सच तो आखिरकार सामने आ ही जाता है!