Varanasi : Police की ‘पढ़ाई’ में फेल 145 दरोगा, अब लेना होगा ‘ट्यूशन’

Varanasi : जिले की पुलिस का हाल ऐसा है कि अगर इसे स्कूल का रिजल्ट मान लें, तो 145 दरोगा ‘फेल’ होकर क्लास में सबसे पीछे बैठने की सजा पा चुके हैं। जी हां, पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने जब 589 सब-इंस्पेक्टरों की ‘मासिक परीक्षा’ ली, तो 145 दरोगा 33% अंक भी नहीं ला सके। यानी, इनकी ‘प्राइमरी वर्किंग’ इतनी कच्ची है कि अगर अपराधी इनका टेस्ट लें, तो शायद ये ‘ज़ीरो’ पर आउट हो जाएं!

‘स्टार परफॉर्मर’ से लेकर ‘पुलिस लाइन’ तक का सफर

रिव्यू में 444 दरोगा ने किसी तरह ‘पासिंग मार्क्स’ हासिल कर अपनी इज्जत बचा ली, वहीं 6 सुपरस्टार्स—मंडुवाडीह के राजदर्पण तिवारी, अमरजीत कुमार, रोहनिया के विकास कुमार मौर्य, चेतगंज की मीनू सिंह, कोतवाली की निहारिका साहू और रामनगर की अंशू पांडेय—ने 75% से ज्यादा अंक लाकर ‘टॉपर’ का तमगा हासिल किया। इनकी पीठ थपथपाई जाएगी, इनाम भी मिलेगा लेकिन बाकी 145 इन्हें तो एक महीने के लिए पुलिस लाइन में ‘रिमेडियल क्लास’ के लिए भेज दिया गया है। वहां परेड, फुट पेट्रोलिंग और ‘कामकाज का पाठ’ पढ़ाया जाएगा। और हां, खुद कमिश्नर साहब हर दिन 10-10 दरोगा की ‘काउंसलिंग’ करेंगे, जैसे कोई सख्त हेडमास्टर फेल स्टूडेंट्स को समझाता है।

“अब सुधर जाओ, वरना…”

पुलिस कमिश्नर ने साफ चेतावनी दी है—अगर इन 145 ‘सुस्त परफॉर्मर’ ने अपनी कार्यशैली में सुधार नहीं किया, तो विभागीय कार्रवाई का डंडा चलेगा। यानी अगली बार ‘सस्पेंशन’ की मार पड़ सकती है। अब यह देखना मजेदार होगा कि क्या ये दरोगा ‘पुलिसिंग की किताब’ खोलकर पढ़ते हैं या फिर ‘काउंसलिंग’ के बाद भी ‘फेल’ का टैग लिए घूमते हैं।

जुआ, सट्टा, हुक्का बार: पुलिस कमिश्नर का ‘क्लीन सिटी’ मिशन

शुक्रवार की देर रात हुई क्राइम मीटिंग में पुलिस कमिश्नर ने थानेदारों को फटकार लगाते हुए कहा कि हुक्का बार, स्पा सेंटरों में अनैतिक गतिविधियों पर नकेल कसो। ऑनलाइन सट्टा, जुआ, सड़कों पर स्टंटबाजी, ब्लैक फिल्म वाली गाड़ियां, शराब तस्करी—सब पर शिकंजा कसने के आदेश दिए। लूट, चैन स्नैचिंग जैसी वारदातों पर ‘क्विक एक्शन’ और रात में बाजारों की गश्त को और सख्त करने को कहा। और हां, CUG फोन न उठाने वालों को भी चेतावनी दी गई—’फोन उठाओ, वरना अच्छा नहीं होगा!’

क्या है असली मसला?

सवाल ये है कि जब 145 दरोगा अपनी बेसिक ड्यूटी ही नहीं समझ पा रहे, तो वाराणसी की जनता कैसे भरोसा करे कि उनकी सुरक्षा इनके भरोसे है? ये वो लोग हैं, जिन्हें अपराध रोकना है, लेकिन खुद ‘परफॉर्मेंस टेस्ट’ में धराशायी हो गए। अब काउंसलिंग और ट्रेनिंग से कितना सुधार होगा, ये तो वक्त बताएगा। लेकिन इतना तय है—अगर ये दरोगा अब भी नहीं सुधरे, तो अगली बार शायद कमिश्नर साहब ‘पुलिस लाइन’ की जगह ‘सस्पेंड लाइन’ का रास्ता दिखा दें।

तो वाराणसी की पुलिस, अब किताब खोलो और पढ़ाई शुरू करो—क्योंकि जनता का भरोसा और पुलिस कमिश्नर का डंडा, दोनों तुम्हारी ‘पासिंग’ पर टिके हैं!

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