Varanasi : वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट इन दिनों किसी थ्रिलर फिल्म से कम नहीं लग रहा। एक तरफ पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने सब इंस्पेक्टर मीनू सिंह को उनकी शानदार परफॉर्मेंस के लिए ‘स्टार परफॉर्मर’ का खिताब देकर वाहवाही बटोरी, तो दूसरी ओर महज 24 घंटे बाद ही डीसीपी काशी जोन गौरव बंसवाल ने मीनू की तेलियाबाग चौकी की कमान छीनकर उन्हें कोतवाली थाने में ‘साइडलाइन’ कर दिया। यह चौंकाने वाला फेरबदल पुलिस महकमे में गॉसिप का हॉट टॉपिक बन गया है।
मीनू सिंह ने मासिक मूल्यांकन में 34.5 अंकों के साथ महिला दरोगाओं में टॉप किया था। कमिश्नर अग्रवाल ने उन्हें और पांच अन्य दरोगाओं को स्टार परफॉर्मर घोषित करते हुए बेहतर पोस्टिंग और मौके देने का वादा किया था। लेकिन मीनू के लिए यह वादा हवा में उड़ गया। शनिवार देर रात आए तबादला आदेश ने सबको हैरान कर दिया। मीनू को तेलियाबाग चौकी से हटाकर कोतवाली भेज दिया गया, जबकि उनकी जगह सब इंस्पेक्टर शिवम श्रीवास्तव को तैनात किया गया। वहीं, दरोगा रामस्वरूप सिंह को कोतवाली से शीतलाघाट चौकी का चार्ज मिला।
क्या है कमिश्नरेट की अंदरूनी सियासत
यह घटनाक्रम पुलिस कमिश्नरेट के तीनों जोनों में चल रही अंदरूनी सियासत को उजागर करता है। खबरें हैं कि डीसीपी बंसवाल और कमिश्नर अग्रवाल के बीच मीनू की परफॉर्मेंस को लेकर ठन गई। कुछ अफसरों का मानना है कि डीसीपी मीनू को स्टार परफॉर्मर मानने को तैयार नहीं थे, जिसके चलते लंबे समय से तैनात इस दरोगा को फटाफट हटाने का फैसला लिया गया। हालांकि, डीसीपी बंसवाल इसे आम जनहित का तबादला बता रहे हैं।
यह पूरा वाकया पुलिस विभाग में सवालों का तूफान खड़ा कर रहा है। आखिर एक स्टार परफॉर्मर को सम्मानित करने के अगले ही दिन उसकी कुर्सी क्यों खींच ली गई? क्या यह सिर्फ रूटीन प्रशासनिक कदम है या इसके पीछे कोई जटिल स्क्रिप्ट छिपी है? वाराणसी पुलिस के गलियारों में इन सवालों की गूंज तेज है और हर कोई अगले सीन का इंतजार कर रहा है।