क्या Mayawati फिर बनेंगी मुख्यमंत्री? UP की सियासत में हलचल तेज

उत्तर प्रदेश (UP) की राजनीति एक बार फिर गरमाने लगी है और इसकी वजह बनी है बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती (Mayawati)। लंबे समय से सत्ता से दूर रहने के बाद अब यह अटकलें तेज हो गई हैं कि क्या मायावती एक बार फिर राज्य की मुख्यमंत्री बन सकती हैं?

हाल ही में मायावती ने लखनऊ में आयोजित एक जनसभा में कहा कि बसपा को फिर से मजबूत किया जा रहा है और अगर जनता ने मौका दिया तो वह फिर से उत्तर प्रदेश की बागडोर संभालने को तैयार हैं। उनके इस बयान को राजनीति के गलियारों में बड़ा संकेत माना जा रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यूपी की वर्तमान सियासी स्थिति में दलित वोट बैंक की अहम भूमिका हो सकती है। मायावती, जो चार बार राज्य की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं, आज भी एक मजबूत दलित चेहरा मानी जाती हैं। हालांकि पिछले कुछ चुनावों में बसपा को भारी नुकसान हुआ है और पार्टी की सीटों में गिरावट देखी गई है। बावजूद इसके, मायावती के अनुभव और संगठन की जमीनी पकड़ को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

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राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर मायावती समाजवादी पार्टी और कांग्रेस जैसी विपक्षी पार्टियों से अलग एक स्वतंत्र मोर्चा बनाकर दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वोट को एकजुट करने में सफल होती हैं तो उनकी वापसी की संभावना बढ़ सकती है।

हालांकि, भाजपा की मजबूत मौजूदगी और योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता को देखते हुए यह राह आसान नहीं होगी। लेकिन राजनीति संभावनाओं का खेल है और मायावती के बयान से साफ है कि वे अब भी इस दौड़ में हैं।

मायावती के पिछले कार्यकाल की प्रमुख उपलब्धियाँ

  • मायावती के कार्यकाल (विशेष रूप से 2007–2012) को कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार और प्रशासनिक अनुशासन के लिए जाना जाता है।
  • उन्होंने अपराध पर नियंत्रण और भ्रष्टाचार पर सख्ती जैसे कई कदम उठाए।
  • दलित महापुरुषों की स्मृति में स्मारकों और पार्कों का निर्माण कराया, जैसे कि डॉ. भीमराव आंबेडकर स्मारक और कांशीराम स्मृति उपवन।
  • उन्होंने लखनऊ और नोएडा जैसे शहरों में बुनियादी ढांचे के विकास पर ज़ोर दिया।
  • इसके अलावा, सरकारी भर्तियों में आरक्षण नीति को प्रभावी ढंग से लागू किया और दलित समाज के युवाओं को शिक्षा एवं नौकरियों में आगे बढ़ाने का प्रयास किया। हालांकि विपक्ष ने उन पर खर्चीली योजनाओं को लेकर आलोचना भी की।

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2024 लोकसभा चुनावों में बसपा की स्थिति

2024 के लोकसभा चुनावों में बहुजन समाज पार्टी को एक बार फिर झटका लगा। पार्टी उत्तर प्रदेश में अपने पारंपरिक वोट बैंक को सहेज नहीं पाई और उसका प्रदर्शन निराशाजनक रहा। बसपा राज्य में एक भी सीट जीतने में असफल रही, जिससे पार्टी की जमीनी स्थिति और नेतृत्व की रणनीति पर सवाल उठने लगे। इस प्रदर्शन ने यह संकेत दिया कि पार्टी को नए सिरे से संगठन को मजबूत करने, युवाओं और महिलाओं को जोड़ने और मौजूदा सामाजिक समीकरणों को समझकर चुनावी रणनीति बनाने की ज़रूरत है।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि 2027 के विधानसभा चुनावों में मायावती किस रणनीति के साथ उतरती हैं और जनता उन्हें फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाती है या नहीं।

 

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