अमेरिका में एक राजनीतिक और रणनीतिक हलचल उस समय देखने को मिली जब पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के बीच एक ‘ऐतिहासिक’ लंच मीटिंग हुई। यह बैठक ऐसे समय पर हुई है जब भारत ने पाकिस्तान की सैन्य और आतंकवादी गतिविधियों पर कई बार चिंता जताई है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है।
यह लंच वॉशिंगटन डीसी में एक निजी स्थान पर हुआ, जिसमें दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय सुरक्षा, अफगानिस्तान की स्थिति, और अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों को लेकर विचार साझा किए। इस बैठक की तस्वीरें सामने आने के बाद भारत की ओर से राजनयिक स्तर पर असहमति जताई गई है।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत के विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, किसी भी ऐसे मंच पर पाकिस्तान को महत्व देना, खासकर उसके सैन्य नेतृत्व को, एक खतरनाक मिसाल हो सकती है। भारत लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करता रहा है कि वह पाकिस्तान की सैन्य नीतियों और आतंकवाद को संरक्षण देने की नीति पर सवाल उठाए।
भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंधों की वर्तमान स्थिति
भारत और अमेरिका के संबंध हाल के वर्षों में काफी मजबूत हुए हैं। दोनों देश QUAD जैसे रणनीतिक मंचों पर साथ हैं, रक्षा समझौतों (जैसे COMCASA, BECA) को लागू कर चुके हैं और इंटेलिजेंस साझा करने के स्तर पर भी सहयोग बढ़ा है। अमेरिका, भारत को एक प्रमुख रक्षा साझेदार मानता है और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों के विरुद्ध भारत को एक अहम भागीदार के रूप में देखता है।
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हालांकि, ट्रंप और पाकिस्तानी सैन्य नेतृत्व के बीच यह लंच भारत-अमेरिका संबंधों में विश्वास की एक छोटी लेकिन उल्लेखनीय चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह ट्रंप की व्यक्तिगत कूटनीति का हिस्सा हो सकता है, न कि अमेरिका की आधिकारिक विदेश नीति का संकेत। फिर भी, भारत को इस घटनाक्रम को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार मानते हैं कि यह बैठक अमेरिका के दक्षिण एशिया नीति में संभावित बदलाव का संकेत हो सकती है। ट्रंप का पाकिस्तान को फिर से महत्व देना, 2024 के राष्ट्रपति चुनावों से पहले मुस्लिम समुदाय और दक्षिण एशियाई वोट बैंक को साधने की रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है।
इस ‘ऐतिहासिक’ लंच ने जहां पाकिस्तान को कूटनीतिक बढ़त दी है, वहीं भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी को लेकर नई चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं। अब देखना होगा कि भारत इस घटनाक्रम पर क्या अगला कदम उठाता है।