चीन की श्वसन बीमारी बच्चों पर कर रही ज्यादा असर, भारत में कितना खतरा?
चीन में इन दिनों रहस्यमयी श्वसन बीमारी का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक अस्पतालों के आपातकालीन विभाग में निमोनिया और श्वसन संक्रमण की शिकायत के साथ मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। इस रोग का सबसे ज्यादा खतरा बच्चों में देखा जा रहा है, जिससे स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता बढ़ गई है।
क्या है बीमारी की मुख्य वजह
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का दावा है कि चीन में सर्दियों के मौसम की शुरुआत हो गई है और महामारी के बाद यह पहली सर्दी है जब यहां किसी प्रकार के प्रतिबंध नहीं हैं। लॉकडाउन और अन्य प्रतिबंधों की वजह से संक्रामक रोगों से बचाव को लेकर सुरक्षा कवच बना हुआ था जो अब टूट रहा है।
आपको बता दें, माइकोप्लाज्मा निमोनिया जीवाणु संक्रमण है। चीन में इस बीमारी के अचानक बढ़ने के लिए लॉकडाउन के कारण प्रतिरक्षा में आई कमजोरी को मुख्य वजह माना जा रहा है। पूरी दुनिया इस स्थिति को गंभीरता से देख रही है, इसका अभी तक भारत पर ज्यादा असर नहीं हुआ है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं भारत में श्वसन संक्रमण के मामले देखे जाते रहे हैं इसलिए इसके गंभीर रूप लेने का जोखिम कम है।
भारत में बीमारी का जोखिम कितना?
चीन में बढ़ते संक्रामक रोग को लेकर क्या यहां भी इस रोग का खतरा हो सकता है? अगर ऐसा होता है तो भारत को कितना अलर्ट रहना चाहिए, इस बारे में स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है एवियन इन्फ्लूएंजा के मामले और चीन से रिपोर्ट की गई श्वसन बीमारी का जोखिम भारत में फिलहाल कम है। वर्तमान में उपलब्ध जानकारी से पता चला है कि पिछले कुछ हफ्तों में चीन में श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि हुई है, भारत में भी इन दिनों फ्लू का मौसम चल रहा है लेकिन यहां चीन जैसी परिस्थितियों का जोखिम नहीं है।
निपटने के लिये कितना तैयार भारत?
भारत में इस रोग को लेकर तैयारियों के बारे में केंद्रीय स्वास्थ्यमंत्री मनसुख मांडविया ने कहा, चीन में बच्चों में एच9एन2 मामलों के हालिया प्रकोप और श्वसन संबंधी बीमारियों को लेकर भारत सरकार स्थिति पर नजर रख रही है और बचाव के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। आईसीएमआर और स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक इस बात को लेकर गंभीरता से उपाय कर रहे हैं जिससे जोखिमों से बचाव किया जा सके।
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