MP के पत्रकार पर दर्ज हुए FIR को Highcourt ने किया रद्द, कहा - अभिव्यक्ति की आजादी सबको है
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों पर संदेह जताते हुए सोशल मीडिया पर एक पत्रकार ने पोस्ट की थी। जिसके चलते उनके खिलाफ एफआरआई दर्ज की गई थी। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पत्रकार के खिलाफ दर्ज हुई एफआरआई रद्द कर दी है।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों पर संदेह जताते हुए सोशल मीडिया पर एक पत्रकार ने एक पोस्ट की थी। जिसके चलते उनके खिलाफ एफआरआई दर्ज की गई थी। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पत्रकार के खिलाफ ये कहते हुए एफआरआई रद्द कर दी कि स्वतंत्र भाषण यानी अभिव्यक्ति की आजादी का अस्तित्व सबको है, जब एक नागरिक बिना किसी डर के सरकार की आलोचना कर सके।
कोर्ट ने इस मामले पर की सुनवाई
एक खबर के अनुसार, कोर्ट मोनू उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। मोनू एक स्थानीय पत्रकार हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए ग्वालियर चंबल क्षेत्र की लहार विधानसभा के चुनाव पर संदेह व्यक्त किया था। जिसको लेकर उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लोगों को जानकारी दी। पत्रकार ने चुनाव में गड़बड़ी को लेकर संदिग्ध महसूस किया था।
इस धारा के तहत हुई थी FIR
मोनू और एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ IPC की धारा (505) (2) यानी सार्वजनिक अव्यवस्था पैदा करने वाले बयान देने और धारा 188 (सरकारी कर्मचारी के विधिवत आदेश को न मानने) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। जिसके बाद याचिकाकर्ता मोनू उपाध्याय की तरफ से उनके वकील गौरव मिश्रा ने हाईकोर्ट का रुख किया। उनका तर्क था कि मुवक्किल ने सोशल मीडिया पर अपनी राय जाहिर की और चूंकि ‘पोस्ट एक IAS अधिकारी से जुड़ी थी, इसलिए उनके खिलाफ जल्दबाजी में FIR दर्ज की गई है।
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