Pollution : दिल्ली में प्रदूषण का प्रकोप, पशु-पक्षियों की प्रजनन क्षमता प्रभावित
Delhi-NCR की प्रदूषित हवाओं से पशु-पक्षियों की प्रजनन क्षमता प्रभावित हो रही है। वहीं, इनको सांस की बीमारी (क्रोनिक रेस्पिरेटरी डिजीज) ने भी घेर लिया है। इससे भोजन की तलाश में ऊंचाई तक उड़ान भरना भी संभव हो गया है। जिससे इनको पर्याप्त पोषण नहीं मिल रहा है।
दूसरी तरफ अस्पतालों में प्रदूषण से बीमार होने वाले पशु-पक्षियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। हर दिन 8 से 10 घायल पक्षियों को अस्पताल लाया जा रहा है। यही स्थिति वन्य जीवों की भी है। इसमें बंदरों की संख्या ज्यादा है। पशु-पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार वायु प्रदूषण इनके व्यस्क होने के स्तर पर प्रभाव डाल रहा है। ऐसे में प्रदूषण का असर सिर्फ इंसानों पर नहीं, बल्कि पशु-पक्षियों पड़ रहा है।
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कबूतर और कौवों पर ज्यादा प्रभाव
पुरानी दिल्ली की बात करें तो दिगंबर जैन लाल मंदिर में स्थित पक्षियों के धर्मार्थ चिकित्सालय में सबसे अधिक पक्षी लाये जा रहे हैं। अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर हरअवतार सिंह बताते हैं कि प्रदूषण का असर पशु-पक्षियों में अचानक और लंबे समय बाद दोनों देखने को मिलता है। इसमें कबूतर और कौवा की संख्या ज्यादा है।
वह कहते हैं कि उनके पास इस मौसम में अब तक 12 से 15 पक्षी ऐसे लाए गए हैं, जिनके फेफड़ों में प्रदूषण का गहरा असर है। उन्होंने बताया कि स्मॉग की वजह से पक्षियों में फोटो पीरियड (वह समय जब पक्षी अपना दिन के उजाले में भोजन जुटाते हैं) कम होने से सेहत पर सबसे खतरनाक असर पड़ रहा है।
प्रजनन क्षमता हो रही प्रभावित
प्रदूषण से पक्षियों की प्रजनन क्षमता और विकास दर पर भी असर पड़ रहा है। पक्षी विशेषज्ञ और भारतीय पशु अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के पूर्व संयुक्त निदेशक डॉ. रिशेंद्र वर्मा कहते हैं कि जैसे इंसानों को प्रदूषण की वजह से सांस लेने में परेशानी होती है, उससे कहीं ज्यादा पक्षियों को सांस लेने में दिक्कत होती है। इसकी वजह पक्षियों की श्वसन प्रक्रिया इंसानों की अपेक्षा कई गुना ज्यादा होती है। प्रदूषण के कण उनके अंदर पहुंचते हैं, जो भविष्य में उनकी मौत का कारण बनते हैं। यही नहीं इससे इनकी प्रजनन और विकास दर पर भी असर पड़ता है।
प्रवासी पक्षियों की संख्या में कमी
जहां एक ओर पक्षियों की सेहत पर असर पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर बढ़ते प्रदूषण से सर्दियों में आने वाले साइबेरियन प्रवासी पक्षियों की संख्या में कम हो रही है। दिल्ली में हजारों मीलों का सफर तय कर प्रवासी पक्षी आते हैं। डीडीए बायोडायवर्सिटी पार्क के वैज्ञानिक प्रभारी डॉ. फैयाज खुदसर ने बताया कि पशुओं पर प्रदूषण के असर पर अभी कोई ठोस शोध नहीं हुआ है।
लेकिन, प्रवासी पक्षियों पर इसका असर देखने को मिल सकता है। वह कहते हैं कि प्रदूषण व धुंध से पक्षी अपने पर्यावास का गलत चुनाव कर सकते हैं। इन्हें एक जगह पर रहने के लिए लंबा समय बिताना पड़ता है, अगर उस जगह पानी की कमी होगी तो यह आने वाले वर्षों में उस क्षेत्र व इलाके में नहीं आएंगे। वह कहते हैं कि उन्होंने महसूस किया है कि प्रदूषण के बढ़ने से स्थालीय जीवों के भोजन की समस्या उत्पन्न होती है।
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