Celiac Decease : बच्चों में ज्यादा होती है यह बीमारी, खाने में ये चीजें बिल्कुल न दें
Celiac Decease : विश्व सीलिएक डिजीज अवेयरनेस डे के अवसर पर लखनऊ के मेदांता हॉस्पिटल में एक
Celiac Decease : विश्व सीलिएक डिजीज अवेयरनेस डे के अवसर पर लखनऊ के मेदांता हॉस्पिटल में एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अस्पताल के पीडिट्रिक गेस्ट्रोएंटेरोलॉजी के कंसल्टेंट डॉ. दुर्गा प्रसाद ने सीलिएक डिजीज से होने वाले नुकसान और उससे बचने के उपाय बताएं।
उन्होंने बताया कि सीलिएक रोग एक इम्यून रिएक्शन है जो कि ग्लूटेन युक्त आहार खाए जाने पर रोग प्रतिरोधक क्षमता रिएक्शन करने लगती है जो 1-2% आबादी में पाई जाती है। ग्लूटेन एक तरह का प्रोटीन है जो गेंहू, जौ और राई में मुख्य रूप से पाया जाता है और ये उत्तर भारत में हमारा मुख्य आहार है। यह बीमारी बच्चों में ज्यादा होती है हालांकि ये व्यस्कों में भी हो सकती है। बच्चों में इस बीमारी से उनके विकास पर बुरा प्रभाव पड़ने लगता है।
कैसे पहचानें इस बीमारी को
डॉ दुर्गा प्रसाद ने बताया कि यह बीमारी आंतों को नुकसान पहुंचाती है। जिसमें खाने की सही पहचान न होने से इसके लक्षण बच्चों में आने लगते हैं। इस बीमारी में दस्त, विकास की समस्या, पेट दर्द, पेट का फूलना और पेट में सूजन शामिल हैं। वहीं बच्चों में दस्त भी सीलिएक रोग का लक्षण हो सकता है। इसके अलावा कुछ रोगियों में थकान, उल्टी, मतली और कमजोरी जैसे लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं। वयस्कों की तुलना में बच्चों में ये लक्षण अधिक देखने को मिलते हैं। कई बार सही समय पर जांच न हो तो बच्चे गंभीर भी हो सकते हैं।
बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास रुक जाता है
डॉ. दुर्गा प्रसाद ने बताया कि सीलिएक रोग से बच्चों का विकास धीमा होने लगता है। बच्चों में चिड़चिड़ापन, हड्डियों में दर्द होना, त्वचा पर निशान दिखना, बालों का झड़ना, हाथ-पैरों में झुनझुनी, थकान और सिरदर्द, डिप्रेशन, ध्यान देने में कठिनाई आदि होने लगती है। जब परिवार में किसी करीबी सदस्य जैसे माता-पिता को सीलिएक रोग होता है, तो बच्चे में इसके होने की संभावना भी अधिक रहती है। जिन परिवारों में सीलिएक रोग है, उनके बच्चों में इस रोग के होने की संभावना 10 गुना तक बढ़ जाती है।
बच्चों को खाने में ये चीजें बिल्कुल न दें
डॉ दुर्गा प्रसाद ने सीलिएक रोग से बचाव के लिए बताया कि इसमें एक विशेष डाइट चार्ट होता है जो माता-पिता को साथ में दिया जाता है इससे बचने के लिए खान-पान पर खास ध्यान देना जरूरी होता है। गेहूं, राई, जाऊ से बने खाद्य पदार्थों जैसे ब्रेड, पास्ता, बिस्कुट, केक और कुकीज का सेवन बिल्कुल न करें। सोया सॉस, डिब्बाबंद सूप और आइसक्रीम के सेवन से भी बचें। चटनी, मसाला और कैचअप में भी ग्लूटेन होता है इसलिए आपको इनके सेवन से भी बचना चाहिए।
कार्यक्रम में सीलिएक रोग से ग्रसित रहे बच्चों और उनके अभिभावकों ने अपने अनुभव साझा किए। डॉ दुर्गा प्रसाद ने कहा कि विश्व सीलिएक डिजीज अवेयरनेस डे के अवसर पर हम चाहते हैं कि लोग इस बीमारी की गंभीरता को समझें और इस रोग के लक्षण होने पर विशेषज्ञ चिकित्सकों से सलाह लें। साथ ही उन्होंने जानकारी दी कि मेदांता हॉस्पिटल में गेस्ट्रोएंटेरोलॉजी समेत सभी बड़े विभाग मौजूद हैं। जहां विशेषज्ञ डॉक्टर्स और डेडीकेटेड पैरामेडिकल स्टाफ मरीजों की सेवा के लिए तत्पर रहते हैं। हम एक छत के नीचे मरीजों को सभी तरह की गंभीर बीमारियों का इलाज मुहैया करवाते हैं।
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