Loksabha Election 2024 : पश्चिम यूपी के इन चार सीटों पर BJP की राह आसान नहीं

लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में यूपी में 10 सीटों पर चुनाव होने हैं. इनमें से कई सीटों पर बीजेपी और सपा में सीधी टक्कर देखने को मिल सकती है. वहीं कई सीटों पर सपा मजबूत मानी जा रही है.

May 6, 2024 - 21:28
May 7, 2024 - 01:41
 0
Loksabha Election 2024 : पश्चिम यूपी के इन चार सीटों पर BJP की राह आसान नहीं

लोकसभा चुनाव 2024 के तीसरे चरण में 7 मई को पश्चिमी यूपी की 10 सीटों पर वोटिंग होनी है. इनमें से आंवला, बदांयू, संभल और फतेहपुर सीकरी सीट पर बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है. मैनपुरी और फिरोजाबाद सीटों की बात करें तो इन दोनों सीटों पर सपा मजबूत मानी जा रही है. 2019 में भी इन दोनों सीटों पर अखिलेश यादव की पार्टी ने कब्जा कर लिया.

इन सीटों पर सपा मजबूत

मैनपुरी

सबसे पहले बात करते हैं मैनपुरी सीट की. यह सीट सपा की परंपरागत सीट मानी जाती है. इस सीट से नेता जी यानी मुलायम सिंह यादव चुनाव लड़ते थे. उनके जाने के बाद साल 2022 में हुए उपचुनाव में उनकी बहू डिंपल यादव करीब 2,80,000 वोटों से जीतीं. अब डिंपल यादव एक बार फिर 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं. उन्होंने अकेले ही चुनाव प्रचार की कमान भी संभाल रखी है. समाजवादी पार्टी से यह सीट जीतना काफी चुनौतीपूर्ण नजर आ रहा है. जातिगत आंकड़ों की बात करें तो लोकसभा क्षेत्र में यादव समुदाय के वोटों की संख्या सबसे ज्यादा है. जबकि दूसरे स्थान पर शाक्य और तीसरे स्थान पर क्षत्रिय मतदाता आते हैं.

मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र हैं जिनमें जसवन्त नगर, करहल, किशनी, भोगांव और मैनपुरी सदर शामिल हैं. फिलहाल, मैनपुरी सदर और भोगांव विधानसभा पर बीजेपी विधायकों का कब्जा है, जबकि किशनी, करहल और जसवन्त नगर पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है.

फिरोजाबाद

फिरोजाबाद सीट पर भी सपा मजबूत मानी जाती है, यहां से एक बार फिर सपा की ओर से अक्षय यादव मैदान में हैं. 2014 की मोदी लहर के बावजूद अक्षय ने यह सीट जीत ली थी, जबकि 2019 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा और 2014 की तुलना में यहां उन्हें पांच फीसदी कम वोट मिले. हालांकि, हार के बाद भी उन्होंने क्षेत्र का दौरा जारी रखा और विश्वास हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत की. लोगों की। 2024 के लोकसभा चुनाव में फिरोजपुर में प्रोफेसर रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव का मुकाबला बीजेपी के ठाकुर विश्वदीप सिंह और बीएसपी के चौधरी बशीर से होगा.

अब बात करते हैं उन सीटों की जिन पर बीजेपी और एसपी के बीच टक्कर की उम्मीद है.

करौंदा

बरेली जिले के अंतर्गत आंवला लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं का खासा प्रभाव है. जिले में करीब 35 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं, जबकि 65 फीसदी हिंदू हैं. हालांकि मुस्लिम-दलित वोटरों का समीकरण यहां लंबे समय से नतीजे तय करता रहा है, लेकिन इनके अलावा क्षत्रिय-कश्यप वोटर भी यहां खासा प्रभाव रखते हैं. पिछले दो चुनावों में यहां बीजेपी उम्मीदवार धर्मेंद्र कुमार ने जीत हासिल की है. इसलिए बीजेपी ने उन्हें एक बार फिर से टिकट दिया है. वहीं सपा ने नीरज मौर्य और बसपा ने आबिद को मैदान में उतारा है. इस सीट पर बीजेपी को कड़ी टक्कर मिलने की संभावना है.

बदायूं

2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव ने यहां एकतरफा जीत हासिल की थी. 2019 में यहां मुख्य मुकाबला सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव और बीजेपी की संघमित्रा मौर्य के बीच था और आखिरकार संघमित्रा मौर्य की जीत हुई. 2024 की बात करें तो बीएसपी से मुस्लिम खान, एसपी से आदित्य यादव और बीजेपी से दुर्विजय सिंह शाक्य प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं. बदायूँ यूपी की चर्चित सीटों में से एक है. क्योंकि इस बार शिवपाल यादव ने खुद चुनाव न लड़कर अपने बेटे आदित्य को सपा के टिकट पर उम्मीदवार बनाया है. इस बार यह सीट बीजेपी के लिए आसान नहीं रहने वाली है क्योंकि इस सीट पर शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच नाराजगी खत्म हो गई है.

संभल

संभल लोकसभा सीट 1977 में अस्तित्व में आई, आपातकाल के बाद देश में पहली बार चुनाव हुए और तब चौधरी चरण सिंह की पार्टी ने यहां से जीत हासिल की थी. इस बार संभल लोकसभा क्षेत्र से 12 प्रत्याशी मैदान में हैं. इनमें भाजपा से परमेश्वर लाल सैनी, सपा से जियाउर्रहमान बर्क, बसपा से चौधरी सौलत अली मैदान में हैं. बीजेपी प्रत्याशी के समर्थन में सीएम योगी आदित्यनाथ दो बार, मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और आरएलडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी एक-एक बार जनसभा कर चुके हैं. माना जा रहा है कि इस सीट पर दलित मतदाताओं का रुख ही उम्मीदवार की जीत तय करेगा.

फ़तेहपुर सीकरी

इस बार फ़तेहपुर सीकरी सीट पर सत्ता विरोधी लहर एक बड़ा फैक्टर हो सकती है. फ़तेहपुर सीकरी में अच्छी संख्या होने के बावजूद बीजेपी ने इस बार क्षत्रियों को टिकट नहीं दिया. क्षेत्र में क्षत्रिय समाज सबसे बड़ा मतदाता वर्ग है. इसके बावजूद राजकुमार चाहर (जाट) को दोबारा टिकट दिया गया है. असंतोष को एक अवसर के रूप में देखते हुए, इंडिया ब्लॉक ने क्षेत्र से क्षत्रिय उम्मीदवार रामनाथ सिकरवार को मैदान में उतारा है. आपको बता दें कि पिछले दो चुनावों में बीजेपी ने यहां से जीत हासिल की है, लेकिन इस बार यहां एंटी इनकम्बेंसी का फैक्टर देखा जा सकता है.

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow